समाजशास्‍त्र / Sociology

अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषाएँ, प्रमुख उद्देश्य, विशेषताएँ, गुण अथवा लाभ, दोष अथवा सीमाएँ

अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषाएँ
अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषाएँ

अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Schedule)

अनुसूची का अर्थ एवं परिभाषाएँ- अनुसूची प्राथमिक तथ्यों का संकलन करने की एक प्रमुख विधि है। इसका प्रयोग प्रश्नावली विधि में विद्यमान दोषों को दूर करने के लिये किया गया। यह एक लिखित सूची होती है जिसमें अनुसन्धानकर्ता किसी व्यक्ति से प्रश्न पूछता जाता है और उसे भरता जाता है। इसे प्रश्नावली की तरह डाक द्वारा नहीं भेजा जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि अनुसूची एक ‘फार्म’ है जिसमें अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्न एवं सारिणियाँ होती हैं, जिसे अनुसन्धानकर्ता व्यक्तिगत रूप से अवलोकन करके या सूचनादाता से पूछकर भरता है। विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया है –

“अनूसूची उन प्रश्नों के एक समूह का नाम है जो साक्षात्कारकर्ता द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के आमने-सामने की स्थिति में पूछे और भरे जाते हैं।”– गुडे एवं हॉट

“अनुसूची उन तथ्यों को प्राप्त करने की एक औपचारिक विधि है जो स्थूल रूप से होते हैं तथा जिन्हें सरलता से देखा जा सकता है…. इस प्रकार, अनुसूची अध्ययनकर्ता द्वारा स्वयं ही भरी जाती है।” – बोगार्डस

“अनुसूची उन प्रश्नों की एक सूची से अधिक कुछ नहीं है जिनका उत्तर देना उपकल्पना या उपकल्पनाओं की जाँच के लिए आवश्यक प्रतीत होता है।”– मैकाकोर्मिक

“अनुसूची उन विभिन्न मदों की एक विस्तृत, वर्गीकृत, नियोजित तथा क्रमबद्ध सूची होती है। जिसके विषय में सूचनाएँ एकत्रित करने की आवश्यकता पड़ती है।” – डॉ. एम. एच. गोपाल

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अनुसूची के प्रमुख उद्देश्य (Main Objectives of Schedule)

अनुसूची के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए एम. एच. गोपाल ने लिखा है कि-

“इसका प्रयोग सूचना स्रोतों से प्रत्यक्ष रूप में निश्चित परिमाणात्मक तथा वैषयिक सूचना प्राप्त करने में होता है। कभी-कभी उदाहरणार्थ, एक पूर्वगामी सर्वेक्षण में इसे अनुसन्धान के प्रयोग हेतु प्रयोग किया जा सकता है। यह प्रामाणिक तथा माप योग्य सूचनाएँ प्रदान करती हैं।”

संक्षेप में इसके उद्देश्यों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है –

1. अनुसूची का सबसे प्रमुख उद्देश्य सामाजिक अध्ययन अथवा अवलोकन को पक्षपात रहित बनाना है।

2. इसका एक प्रमुख उद्देश्य प्रामाणिक विश्वसनीय एवं यथार्थ सूचनाओं का संकलन करना है।

3. स्थानीय एवं क्षेत्रीय अध्ययन करना।

4. अध्ययन समस्या से सम्बन्धित वैषयिक सूचनाओं का संकलन करना।

5. अनुसूची में प्रश्न लिखित होते हैं जिन्हें अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से प्रत्यक्षतः पूछकर भरता है।

6. तथ्यों का संकलन एक व्यवस्थित रूप में करना ।

7. इसमें अनावश्यक तथ्यों के संकलन से बचा जाता है।

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अनुसूची की विशेषताएँ (Characteristics of Schedule).

अनुसूची की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. अनुसूची एक प्रकार से अध्ययन यन्त्र है, जिसकी सहायता से अनुसन्धानकर्ता सूचना एकत्र करता है।

2. अनुसूची अध्ययन समस्या से सम्बन्धित शीर्षक, उपशीर्षक एवं प्रश्नों से सम्बन्धित एक व्यवस्थित तथा वर्गीकृत सूची होती है।

3. यह प्राथमिक सामग्री के संग्रहण करने की एक प्रत्यक्ष विधि है।

4. यह एक फार्म के रूप में होती है, जिसमें प्रश्नों को क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है।

5. इसका निर्माण स्वयं अनुसन्धानकर्ता द्वारा ही किया जाता है।

6. अध्ययनकर्ता इसे भरने के लिए उत्तरदाता से प्रत्यक्ष सम्पर्क करता है और प्रश्न पूछकर इसे उत्तरदाता के सामने ही भरता है।

7. इसका प्रयोग शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के व्यक्तियों के लिये किया जाता है।

8. इसमें साक्षात्कार अवलोकन एवं प्रश्नावली तीनों ही विधियों का संयोजन होता है।

9. अनुसूची अध्ययनकर्ता पर नियन्त्रण रखती है जिससे कि वह अध्ययन विषय से परे न हटे।

10. इसमें प्रश्नों को एक निश्चित क्रम में रखकर पूछा जाता है, इनमें क्रम परिवर्तन की छूट  नहीं होती है।

अनुसूची के गुण अथवा लाभ (Merits or Advantages of Schedule)

अनुसूची के प्रमुख गुणों अथवा लाभों को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है –

1. व्यक्तिगत सम्पर्क (Personal Contact) – अनुसूची को भरने के लिए अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क करता है, इससे दोनों के मन में आपसी सहयोग और प्रेम की भावना पनपती है, अतः सूचनादाता कोई भी तथ्य छिपाने का प्रयत्न नहीं करता है।

2. प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सूचनाएँ (Valid and Reliable Information)- अनुसूची में स्वयं अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से व्यक्तिगत सम्पर्क करके प्रश्नों को पूछकर भरता है, अतः इस प्रकार प्राप्त होने वाली सूचनाएँ प्रामाणिक एवं विश्वसनीय होती हैं।

3. स्पष्टीकरण की सुविधा (Opportunity of Clarification)- इसमें अध्ययनकर्ता व सूचनादाता का प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है जिसके कारण प्रश्नों व उत्तरों का स्पष्टीकरण होता रहता है। इस प्रकार अध्ययनकर्ता प्रश्नों की भाषा में आने वाली कठिनाई, अस्पष्टता आदि को स्पष्ट कर देता है तथा सूचनादाता की अन्य शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का भी निवारण कर देता है।

4. सूचनाएँ लिखने की सुविधा (Facility of Noting the Data)- हमें अपनी स्मरण शक्ति एवं कल्पना शक्ति पर आश्रित नहीं रहना चाहिए, क्योंकि अनुसूची द्वारा संकलित तथ्य हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध रहते हैं। किसी भी प्रकार की सूचना छूट जाने या भूल जाने की इसमें सम्भावना नहीं रहती है।

5. अधिक प्रत्युत्तर (More Responses)- अनुसूची के प्रयोग से प्रत्युत्तरों के प्रतिशत में वृद्धि होती है। अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता से व्यक्तिगत सम्पर्क करके सूचनाएँ प्राप्त करता है, अतः प्रत्येक प्रकार के प्रत्युत्तर प्राप्त करने का अधिकतम प्रयास करता है।

अनुसूची के दोष अथवा सीमाएँ (Demerits or Limitations of Schedule)

अनुसूची के प्रमुख दोष अथवा सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. सीमित क्षेत्र (Limited Area)- अनुसूची के द्वारा विस्तृत क्षेत्र का अध्ययन नहीं बल्कि – सीमित क्षेत्र का ही अध्ययन किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अनुसन्धानकर्ता इतने अधिक और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का व्यय सहन नहीं कर सकता, जो विशाल भौगोलिक क्षेत्र में व्यक्तिगत साक्षात्कार के द्वारा सूचना एकत्रित कर सकें।

2. सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव (Lack of Universal Questions)- अनुसूची में सार्वभौमिक प्रश्नों का अभाव पाया जाता है। इसमें ऐसे प्रश्नों का निर्माण आसानी से नहीं हो पाता है, जो सभी बौद्धिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक स्तर को लोगों के लिए समान रूप से प्रयुक्त होते हैं।

3. सम्पर्क की समस्या (Problem of Contact) – वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति के समक्ष अनेकों कार्य होते हैं जिनके कारण वह व्यस्त रहता है। अतः उससे सम्पर्क करने की समस्या अत्यन्त जटिल होती है।

4. अधिक समय एवं धन की आवश्यकता (More Time and Wealth Consuming) – अनुसूची को भरने के लिए प्रत्येक अध्ययनकर्ता को सूचनादाता से व्यक्तिगत सम्पर्क करना होता है, जिसमें अधिक समय बर्बाद होता है, इसके अतिरिक्त इनके वेतन व भत्तों आदि पर भी अधिक धन व्यय करना होता है।

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shubham yadav

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