समाजशास्‍त्र / Sociology

साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया | साक्षात्कार की प्रक्रिया एवं तकनीक

साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया
साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया

साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया | साक्षात्कार की प्रक्रिया एवं तकनीक

साक्षात्कार मौलिक रूप से सामाजिक अन्तःक्रिया- साक्षात्कार का संचालन किस प्रकार किया जाना चाहिए, इस सम्बन्ध में विघम, हरबट हाइमैन, वाल्टर एवं मूर, वेनलैण्ड, ओल्डफील्ड, रतेस्की व रोजर्स आदि ने साक्षात्कार की प्रक्रिया व तकनीक आदि के बारे में विस्तृत विवरण दिया है। किसी भी साक्षात्कार की प्रक्रिया के मुख्य तीन चरण होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

(1) साक्षात्कार की प्रारम्भिक तैयारी,

(2) साक्षात्कार की प्रक्रिया,

(3) साक्षात्कार का समापन एवं प्रतिवेदन |

(1) साक्षात्कार की प्रारम्भिक तैयारी (Preliminary Preparation of Interview)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाता है –

(i) समस्या की पूर्ण जानकारी (Full Knowledge of the Problem)-साक्षात्कार का आयोजन करने वाले व्यक्ति को समस्या की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि इसके अभाव में उसके द्वारा किया गया आयोजन सफल नहीं होता है और उसे लज्जित होना पड़ता है।

(ii) सूचनादाताओं के बारे में जानकारी (Information about Respondents)- साक्षात्कार को सफल बनाने के लिए साक्षात्कारकर्ता को सूचनादाताओं की योग्यता, उनके निवास स्थान, स्वभाव, व्यवसाय, अवकाश तथा मिलने के समय आदि की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

(iii) साक्षात्कारदाताओं का चुनाव (Selection about Inter Views) – साक्षात्कारदाताओं का चुनाव अध्ययन विषय की आवश्यकता के अनुसार किया जाना चाहिए और चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम अनुभवी अध्ययन समस्या से सम्बन्धित तथा तटस्थ व्यक्तियों का चयन करें जो कि समस्या के सम्बन्ध में गहन, विस्तृत, विश्वसनीय एवं प्रामाणिक सूचना दे सकें।

(iv) समय एवं स्थान का निर्धारण (Fixation of Time and Place) – साक्षात्कार के लिए उचित समय एवं स्थान का निर्धारण साक्षात्कारदाता की सलाह से किया जाना चाहिए। समय ऐस होना चाहिए जब उसे अवकाश हो और वह किसी कार्य में व्यस्त न हो और इसी प्रकार स्थान का निर्धारण करते समय भी यह ध्यान रखना चाहिए कि स्थान ऐसा हो जहाँ वह गोपनीय सूचनाएँ दे सके।

(v) साक्षात्कार यन्त्रों की रचना (Construction of Interview Tools)- साक्षात्कार के संचालन के लिए मुख्यतः दो यन्त्रों की रचना की जाती है –

(a) अनुसूची और (b) साक्षात्कार प्रदर्शिका

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(2) साक्षात्कार की प्रक्रिया (Process of Interview)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है-

(i) साक्षात्कार को प्रारम्भ करने के लिए सबसे पहले सूचनादाता से पूर्व निश्चित समय एवं स्थान पर सम्पर्क स्थापित करना चाहिए।

(ii) साक्षात्कारकर्ता को साक्षात्कारदाता के अपने अध्ययन के उद्देश्य को बता देना चाहिए।

(iii) साक्षात्कारकर्ता को अध्ययन में सहयोग देने की प्रार्थना करनी चाहिए।

(iv) सम्बन्धित वार्तालाप सरल व स्पष्ट भाषा में होनी चाहिए।

(v) साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को कम बोलना चाहिए और सूचनादाता को धैर्य एवं सहानुभूतिपूर्वक सुनना चाहिए।

(vi) साक्षात्कारकर्ता को ऐसे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए जिससे सूचनादाता का उत्साहवर्द्धन हो।

(vii) को चाहिए कि वह सूचनादाता से ऐसे प्रश्न न पूछे जिससे वह क्रोधित हो जाए।

(viii) साक्षात्कार में समयानुसार उचित प्रश्न किए जाने चाहिए।

(ix) साक्षात्कार लेते समय साक्षात्कार को धैर्यता बनाये रखना एवं प्राप्त सूचनाओं पर विश्वास करना आवश्यक है।

(x) साक्षात्कारकर्ता को सदैव अपने विषय पर ही रहना चाहिए।

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(3) साक्षात्कार का समापन एवं प्रतिवेदन (Completion of Interview and Reporting)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है –

(i) साक्षात्कार की समाप्ति (Closing of Interview) – साक्षात्कार की समाप्ति अच्छे ढंग से होनी चाहिए। जब सूचनादाता सब कुछ कह चुका होता है तो उसकी गति मन्द हो जाती है, तो यह समझ लेना चाहिए कि साक्षात्कार समाप्ति की ओर है। सूचनादाता को साक्षात्कार की समाप्ति के बाद प्रसन्न एवं सन्तुष्ट मुद्रा में छोड़ना चाहिए। साक्षात्कार के अन्त में साक्षात्कारकर्ता को सूचनादाता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए और सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहिए।

(ii) साक्षात्कार को लिखना (Recording the Interview)- साक्षात्कार की समाप्ति के बाद साक्षात्कार को लिखना चाहिए। इसके लिए संक्षिप्त शब्दों या संकेत लिपि या रिकार्डर का प्रयोग करना चाहिए।

(iii) साक्षात्कार प्रतिवेदन ( Interview Report)- साक्षात्कार की समाप्ति के बाद साक्षात्कार प्रतिवेदन तैयार करना चाहिए। इसके लिए साक्षात्कारकर्ता द्वारा लिए गए नोट्स, टेप व रिकार्डिंग आदि का सहारा लेना चाहिए और इसी आधार पर निष्कर्ष निकाले जाने चाहिए।

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shubham yadav

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