अनुसूची एवं प्रश्नावली का तुलनात्मक विवेचन कीजिए ।
सामाजिक सर्वेक्षण एवं अनुसन्धान में अनुसूची एवं प्रश्नावली दोनों ही तथ्य-संकलन की महत्वपूर्ण विधियाँ हैं। इन दोनों को एक-दूसरे की विधि के रूप में माना जाता है। यही कारण है कि विभिन्न विद्वानों द्वारा इन दोनों का प्रयोग एक-दूसरे के स्थान पर किया गया है। प्रो. एम. एच. गोपाल का कहना है कि प्रश्नावली स्पष्ट रूप से अनुसूची का ही प्रतिरूप है। इन दोनों में इतनी अधिक समानता पायी जाती है कि सामान्यतः लोग इन दोनों के लिए प्रश्नावली शब्द का ही प्रयोग करते हैं। जब छोटे स्तर में स्थानीय स्तर पर अनुसन्धानकर्ता द्वारा स्वयं सूचनादाता से सम्पर्क कर प्रश्नों को भरा जाता है तो उसे अनुसूची और यदि विशाल दूरदराज क्षेत्र में फैले सूचनादाता के पास प्रश्नसूची को डाक द्वारा भेजा जाता है तो उसे प्रश्नावली कहा जाता है। इन दोनों में प्रमुख समानताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) अनुसूची और प्रश्नावली दोनों ही अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्नों का एक व्यवस्थित समूह होती हैं।
(ii) दोनों की शब्द रचना एवं प्रश्नों की भाषा में पर्याप्त समानता होती है।
(iii) दोनों के ही द्वारा प्राथमिक सूचनाएँ संकलित की जाती हैं।
(iv) दोनों के प्रश्न निर्माण में समान सावधानियाँ रखी जाती हैं।
(v) दोनों के ही बाह्य रचना, आकृति लम्बाई रूप-रंग तथा कागज में समानता पायी जाती है।
(vi) इन दोनों का ही उद्देश्य अध्ययन विषय के बारे में गुणात्मक एवं संख्यात्मक तथ्यों का संकलन करना है।
इन समानताओं के बावजूद इन दोनों में निम्नलिखित अन्तर भी पाये जाते हैं –
उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अनुसूची और प्रश्नावली में अन्तर के आधार पर किसी को भी एक-दूसरे से श्रेष्ठ नहीं माना जा सकता है। इसका सम्बन्ध अध्ययन क्षेत्र, सूचनादाताओं की प्रकृति एवं उपयोग की भिन्नता से है और इन्हीं के आधार पर हमें यह तय करना होगा कि कौन-सी विधि को अपनाया जाये।
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