समाजशास्‍त्र / Sociology

प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषाएँ, उद्देश्य, विशेषताएँ, गुण अथवा महत्व, दोष अथवा सीमाएँ

प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषाएँ
प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषाएँ

प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Questionnaire)

प्रश्नावली का अर्थ एवं परिभाषाएँ- प्रश्नावली विषय-वस्तु से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने वाली प्रश्नों की एक आयोजित एवं क्रमबद्ध सूची है। यह प्रश्नों का एक समूह अर्थात् सूची है, जिसका निर्माण किसी सामाजिक सूचना की प्राप्ति के उद्देश्य के लिए किया जाता है और इसका उत्तर सूचनादाता अपनी इच्छानुसार अनुसन्धानकर्ता की सहायता के बिना ही देता है। विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया है-

“प्रश्नावली विभिन्न व्यक्तियों को उत्तर देने के लिए प्रेषित की गई प्रश्नों की एक सूची है।”- बोगार्डस

“यह बड़ी संख्या में व्यक्तियों से अथवा एक लघु समूह के सदस्यों से, जो कि विस्तृत रूप से फैले हुए हों, सीमित जानकारी प्राप्त करने के लिए एक सुविधाजनक प्रणाली है।”– विल्सन गी

“एक प्रश्नावली को प्रश्नों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका उत्तर सूचनादाता को बिना एक अनुसन्धानकर्ता अथवा प्रगणक की व्यक्तिगत सहायता को देना होता है। – पोप

“प्रश्नावली प्रश्नों का एक व्यवस्थित संग्रह है, जिसे एक निर्देशित जनसंख्या से उत्तर प्राप्त करने के लिए तैयार किया जाता है।”- बार, डेविस जॉनसन

“सामान्यतः प्रश्नावली शब्द से आशय प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के एक उपकरण से होता है, जिसमें एक प्रपत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसे उत्तरदाता स्वयं ही भरता है।”- गुडे एवं हॉट

प्रश्नावली के उद्देश्य (Objects of Questionnaire)

प्रश्नावली के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. प्रामाणिक तथा विश्वसनीय सूचनाओं का संकलन करना।

2. ऐसे व्यक्तियों से सूचनाओं का संकलन करना जो विस्तृत, विशाल, विविध एवं व्यापक रूप से बिखरे हुए हैं।

3. व्ययों को सीमित करना ।

4. प्राप्त सूचनाओं का संकलन व्यवस्थित रूप में करना।

5. सूचनाओं का संकलन एक साथ तथा शीघ्र करना।

6. वैषयिक अध्ययन के लिए व्यवस्था करना।

7. संख्यात्मक अनुमापन करना।

प्रश्नावली की विशेषताएँ (Characteristics of Questionnaire)

प्रश्नावली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. प्रश्नावली का प्रयोग विस्तृत एवं बिखरे हुए क्षेत्र के सूचनादाताओं से उत्तर प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

2. प्रश्नावली को सूचनादाता स्वयं भरता है। इसके लिए वह किसी की सहायता नहीं लेता है।

3. प्रश्नावली अध्ययन समस्या से सम्बन्धित सूचना एकत्रित करने की एक विधि अथवा यन्त्र है।

4. इनमें अनुसन्धानकर्ता चूँकि सूचनादाता के समक्ष नहीं होता, अतः ये निःसंकोच अनेक गुप्त और आन्तरिक सूचनाएँ दे देते हैं।

5. इसमें प्रश्नों को प्रेरणादायक बनाने का प्रयत्न किया जाता है जिससे सूचनादाता विश्वसनीय उत्तर दे सके।

6. यह प्राथमिक सूचना संकलित करने की एक अप्रत्यक्ष विधि है।

7. इसके माध्यम से सूचना प्राप्त करने के लिए सूचनादाता का शिक्षित होना आवश्यक है।

8. इसे सूचनादाताओं के पास डाक द्वारा भेजा जाता है। कभी-कभी इसको स्थानीय स्तर पर भी वितरित कराया जा सकता है।

9. यह समय, शक्ति एवं धन की दृष्टि से अत्यन्त मितव्ययी है।

10. इसमें अध्ययनकर्त्ता के समक्ष सूचनादाता नहीं होता है, अतः इसका प्रयोग केवल शिक्षित
सूचनादाताओं के लिए ही किया जाता है।

प्रश्नावली विधि के गुण अथवा महत्व (Merits and Advantages of Questionnaire)

प्रश्नावली के गुण अथवा महत्व को स्पष्ट करते हुए कुछ प्रमुख विद्वानों ने लिखा है कि-

“प्रश्नावली के द्वारा वस्तुपरक तथा परिमाणात्मक तथ्यों के साथ-साथ गुणात्मक प्रकृति की सूचनाओं के विकास की जानकारी को भी एकत्रित किया जा सकता है।” – कैथराइन गोर्डन कैप्ट

“यह व्यक्तियों के एक बड़े समूह अथवा अधिक बिखरे हुए व्यक्तियों के एक छोटे से चुने हुए समूह से कुछ सीमित सूचनाएँ प्राप्त करने की एक सुगम विधि है।”– विल्सन गी

संक्षेप में इसके गुण व को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट कि गया है –

1. विशाल जनसंख्या का अध्ययन (Study of Large Population) प्रश्नावली के द्वारा कम समय, श्रम, एवं धन व्यय करके दूर-दूर तक फैले हुए क्षेत्र एवं विशाल जनसंख्या का अध्ययन किया जाता है। इस सम्बन्ध में एक प्रमुख विद्वान ने लिखा है कि –

“प्रश्नावली एक विशाल एवं विस्तृत क्षेत्र में बिखरे हुए व्यक्तियों के समूह में से सूचनाएँ संकलित करने की शीघ्रतम तथा सरलतम विधि प्रदान करती है।” – सिनपाओ येंग

2. कम व्यय (Low Expenditure ) – प्रश्नावली के द्वारा अध्ययन किए जाने पर व्यय  बहुत कम होता है। अध्ययनकर्ता को केवल मुद्रक एवं डाक व्यय नाममात्र का ही करना होता है, जो अन्य पद्धतियों की तुलना में काफी कम होता है।

3. न्यूनतम समय (Minimum Time)- प्रश्नावली डाक द्वारा सभी सूचनादाताओं के पास एक साथ भेज दी जाती हैं, जो भरकर शीघ्र ही वापस कर दी जाती है। अतः इसमें अन्य पद्धतियों की अपेक्षा काफी कम समय लगता है।

4. न्यूनतम श्रम (Minimum Labour)- जब हमें अध्ययन कार्यप्रश्नावली द्वारा करना होता है तो हमें अधिक अध्ययनकर्त्ताओं की आवश्यकता होती है। प्रश्नावलियों को एक केन्द्रीय कार्यालय से भेजा व प्राप्त किया जाता है। इनके सारणीयन, वर्गीकरण, निर्वचन एवं निष्कर्ष में भी अधिक लोगों की आवश्यकता नहीं होती है।

5. विश्वसनीय तथा प्रामाणिक सूचना (Reliable and Valid Information)- प्रश्नावली के द्वारा विश्वसनीय तथा प्रामाणिक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं क्योंकि इसमें सूचनादाता एकान्त में स्वतन्त्र रूप से विचारपूर्वक उत्तर देता है।

प्रश्नावली विधि के दोष अथवा सीमाएँ (Demerits or Limitations of Questionnaire Method)

प्रश्नावली के दोषों को स्पष्ट करते हुए एक प्रमुख विद्वान ने लिखा है कि “प्रश्नावली शायद सबसे दूषित प्रविधि है, क्योंकि इसमें आन्तरिक कमजोरियों विद्यमान हैं।”- एफ. एल. बिटनी

1. केवल शिक्षितों के लिए उपयुक्त (Appropriate for Educated only)  प्रश्नावली स्वयं सूचनादाता द्वारा भरी जाती है, अतः यह प्रणाली केवल शिक्षित व्यक्तियों के लिए ही उपयुक्त है न कि अशिक्षित व्यक्तियों के लिए भी।

2. अस्पष्ट एवं गन्दा लेख (Illegible and Dirty Writing)- प्रश्नावलियों को स्वयं सूचनादाताओं द्वारा ही भरा जाता है और यह आवश्यक नहीं है कि सभी सूचनादाताओं का लेख सुन्दर ही हों। इस स्थिति में प्राप्त उत्तरों को पढ़ना एवं समझना एक कठिन समस्या बन जाती है।

3. अपूर्ण सूचनाएँ (Incomplete Information) – प्रश्नावली को सूचनादाता द्वारा बड़ी ही लापरवाही से भरा जाता है और इस लापरवाही के कारण ही कुछ प्रश्नों के उत्तर छोड़ भी दिये जाते हैं, क्योंकि इसको भरने में उसकी कोई रुचि नहीं होती है। इस प्रकार प्राप्त होने वाली सूचनाएँ अपूर्ण ही रह जाती हैं। अतः यह समझना अत्यन्त कठिन हो जाता है कि सूचनादाता क्या कहना चाहता है ?

4. भावात्मक प्रेरणा का अभाव (Lack of Emotional Stimulation)- प्रश्नावली
विधि में अनुसन्धानकर्ता एवं सूचनादाता में प्रत्यक्ष सम्पर्क न होने के कारण वे एक-दूसरे के विचारों को अच्छी प्रकार समझ नहीं पाते हैं और न ही अनुसन्धानकर्ता सूचनादाता को प्रश्नावली भरने के लिए भावात्मक प्रेरणा प्रदान कर सकता है, अतः यह विधि औपचारिकता मात्र ही रह जाती है।

5. प्रत्युत्तर की समस्या (Problem of Response)- प्राय: यह देखा जाता है कि अधिकांश प्रश्नावलियाँ सूचनादाता के पास से लौटकर ही नहीं आती हैं अर्थात् बहुत कम आती है, क्योकि सूचनादाता लापरवाह एवं आलसी होते हैं या तो फिर वे उत्तर देना नहीं चाहते हैं, अतः इसमें प्रत्युत्तर की समस्या बनी रहती है।

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shubham yadav

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