समाजशास्‍त्र / Sociology

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के महत्व | Importance of case study Method in Hindi

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के महत्व
वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के महत्व

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के गुण अथवा महत्व (उपयोगिता) (Marits or Importance of Case Study Method)

वैयक्तिक अध्ययन पद्धति के गुण अथवा महत्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है –

1. सूक्ष्म अध्ययन (Microscopic Study)

इस विधि के माध्यम से किसी इकाई का गहन एवं सूक्ष्म अध्यन किया जा सकता है। इसीलिए प्रमुख विद्वान बर्गेस ने इसे सामाजिक सूक्ष्मदर्शक यन्त्र के नाम से सम्बोधित किया है। इसके माध्यम से समस्या के सभी पक्षों का अध्ययन सम्भव है। इस सम्बन्ध में कूले ने लिखा है कि-

“वैयक्तिक अध्ययन विधि से हमारा ज्ञान विकसित होता है तथा यह जीवन के प्रति स्पष्ट अन्तर्दृष्टि प्रदान करती है। यह व्यवहार का अध्ययन अप्रत्यक्ष एवं अमूर्त रूप से नहीं वरन प्रत्यक्ष रूप से करती है।”

2. सामग्री की पूर्णता (Complete Material)

वैयक्तिक अध्ययन द्वारा इकाई की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाती है तथा इसके द्वारा संकलित की गई सामग्री का किसी अन्य विधि द्वारा संकलन किया जाना असम्भव है।

3. विभिन्न विधियों का प्रयोग (Use of Various Techniques)

इस सम्बन्ध में लिखा गया है कि –

“विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त करने में वैयक्तिक अध्ययन के अन्तर्गत अनुसन्धानकर्ता संगठन के द्वारा प्रयोग की जाने वाली प्रविधियों एवं साधनों, उदाहरणार्थ गहन साक्षात्कार प्रश्नावलियों, आत्मकथा, प्रलेख, अन्य व्यक्तियों के द्वारा अध्ययन प्रतिवेदन तथा पत्र आदि का प्रयोग कर सकता है।” –गुडे एवं हाट

4. उपकल्पनाओं का स्रोत (Sources Hypothesis)

इस विधि द्वारा निकाले गए निष्कर्षो से महत्वपूर्ण उपकल्पनाओं का निर्माण किया जा सकता है। परिस्थितियों एवं व्यक्तियों की प्रकृति की जानकारी प्राप्त कर सामान्यीकरण किया जाता है जो नवीन कल्पनाओं को जन्म देते हैं। इस सम्बन्ध में लिखा गया है कि –

“यह प्रायः सत्य होता है कि वैयक्तिक अध्ययन द्वारा प्रदान की गयी अन्तर्दृष्टि की गहराई से बाद में वृहद स्तर पर आयोजित अध्ययनों के लिए लाभप्रद उपकल्पनाएँ निकल सकेंगी।”- गुडे एवं हाट

5. मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में सहायक (Helpful in Psychological Studies)

वैयक्तिक अध्ययन मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में सहायक है। यह विधि निदानात्मक मनोविज्ञान, औद्योगिक मनोविज्ञान एवं मनोविकृति विज्ञान आदि से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन में अत्यधिक उपयोगी समझी जाती है।

6. तुलना एवं वर्गीकरण का आधार (Basis of Comparison and Classification)

इसके द्वारा इकाइयों के गुणों की जानकारी होती है। अतः समूह विशेष के अध्ययन हेतु उसे उपयुक्त वर्गों में विभक्त किया जा सकता है, जिससे विभिन्न इकाइयों एवं वर्गों में तुलना करना तथा विरोधी इकाईयों को ज्ञात करना सरल हो जाता है।

7. व्यक्तित्वों का अध्ययन (Study of Persons)

इस विधि द्वारा व्यक्तियों की जीवन सम्बन्धी भूतकालीन एवं वर्तमान स्थितियों की जानकारी प्राप्त की जाती है। व्यक्ति के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक स्तरों उसकी क्षमताओं, व्यवहारों, स्वभावों एवं चरित्र का ज्ञान प्राप्त करके उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को समझाने में यह विधि सहायक है।

8. सामान्यीकरण का आधार (Basis of Generalization)

यह विधि सामान्यीकरण का सफल आधार प्रदान करती है।

उपरोक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट करते हुए कुछ प्रमुख विद्वानों ने लिखा है कि

“वैयक्तिक अध्ययन पद्धति स्वयं में बिल्कुल एक वैज्ञानिक पद्धति नहीं है वरन् वैज्ञानिक कार्यप्रणाली में एक सोपान है।”- लुण्डवर्ग

“वैयक्तिक अध्ययन विधि समाज की एकमात्र गहन एवं विश्वसनीय विधि है।”- गोफमेन

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shubham yadav

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