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वैयक्तिक अध्ययन विधि तथा सांख्यिकीय एवं सर्वेक्षण विधियाँ एक-दूसरे की पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
“वैयक्तिक अध्ययन विधि तथा सांख्यिकीय एवं सर्वेक्षण विधियाँ।’ (Case Study Method and Statistical and Survey Methods)
वैयक्तिक अध्ययन एवं सांख्यिकी तथा सर्वेक्षण की विधियाँ सामाजिक घटना पर भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से विचार करती हैं। वैयक्तिक अध्ययन के अन्तर्गत सामाजिक घटनाओं के कारकों, उनके पारस्परिक सम्बन्धों एवं क्रम को ज्ञात किया जाता है जबकि सर्वेक्षण विधियों में सीमित कारकों के अध्ययन को ज्ञात किया जाता है। सर्वेक्षण विधि के अध्ययन के द्वारा घटनाओं की आवृत्ति, प्रवृत्ति एवं स्वरूप को ज्ञात किया जाता है। इन विधियों में भिन्नता निम्न प्रकार है
वैयक्तिक अध्ययन विधि तथा सांख्यिकीय एवं सर्वेक्षण विधियों में अन्तर (Difference between Case Study Method and Statistical and Survey Methods)
क्र.सं. | वैयक्तिक अध्ययन विधि | सांख्यिकीय एवं सर्वेक्षण विधि |
1. | यह एक इकाई का गहन एवं सूक्ष्म अध्ययन करती है, अतः यह सूक्ष्मदर्शी विधि है। |
इसमें समस्या से सम्बन्धित विस्तृत क्षेत्र में तथ्यों का संकलन किया जाता है, अतः यह वृहद् विधि है। |
2. | यह गुणात्मक एवं वर्णनात्मक विधि है। इसमें अनुसन्धान के तथ्यों को संख्या में प्रकट नहीं किया जाता है। | यह संख्यात्मक एवं विश्लेषणात्मक होती हैं, जिनके निष्कर्ष संख्या में प्रकट किये जा सकते हैं। |
3. | इसमें निदर्शन विधि का प्रयोग नहीं होता है। | इसमें अनेक इकाइयों में से द्वारा अध्ययन हेतु कुछ इकाइयों का चयन किया जाता है। |
4. | इसके निष्कर्ष ज्ञान एवं तर्क पर आधारित होते हैं। | इसके निष्कर्ष गणितीय आधार पर होते हैं। |
5. | इसमें घटना और इकाईयों को भूतकाल और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। | इसमें घटनाओं का वर्तमान सन्दर्भ में अध्ययन किया जाता है। |
6. | इसमें भावात्मक प्रभाव अधिक होता अतः इसमें निश्चितता कम पायी जाती है। | इसमें निश्चितता अधिक होती है तथा इसके निष्कर्ष सांख्यिकीय नियमों पर आधारित होते हैं। |
इन दोनों विधियों में अन्तर होने के बावजूद भी ये दोनों परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं। सर्वेक्षण विधि द्वारा जो निष्कर्ष निकाले जाते हैं उनकी सत्यता की परख कुछ इकाइयों के गहन अध्ययन द्वारा ही की जा सकती है। दूसरी ओर एक इकाई के जीवन इतिहास के तथ्यों का मूल्यांकन विशाल क्षेत्र के सर्वेक्षण से प्राप्त निष्कर्षों द्वारा किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में कुछ प्रमुख विद्वानों ने लिखा है कि –
“सांख्यिकीशास्त्री और वैयक्तिक कार्यकर्ता अपनी प्रविधियों की श्रेष्ठता के प्रति लड़ने के बजाय एक-दूसरे से ऋणी के रूप में लाभ उठा सकते हैं।”– गुड़े एवं हॉट
“सांख्यिकीय एवं वैयक्तिक अध्ययन-पद्धति अधिकांशतः एक-दूसरे की सहायक हैं क्योंकि इनमें से प्रत्येक पद्धति एक ही सामाजिक स्थिति को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखती है तथा उस स्थिति में प्रभाव डालने वाले सामाजिक कारकों पर पृथक रूप से बल देती है।”-श्रीमती पी. वी. यंग
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि ये दोनों ही एक-दूसरे की पूरक हैं।
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