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निदर्शन का अर्थ
निदर्शन अनुसन्धान की निदर्शन पद्धति के अन्तर्गत अनुसन्धान से सम्बन्धित समग्र के विशिष्ट अंगों को ही प्रतिनिधि बनाकर और उस प्रतिनिधि के आधार पर अनुसन्धान कार्य किया जाता है। यह पद्धति उस अनुसन्धान के क्षेत्र में प्रयोग में लाई जाती है जिसमे संगणना पद्धति उपगी सिद्ध हो जाती है। अतः सामान्य में हम कह सकते हैं कि समग्र में से चुने गये ऐसे कुछ को जोकि समग्र का उचित प्रतिनिधित्व करते हैं, निदर्शन कहते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निदर्शन किसी भी चीज या समूह का सम्पूर्ण भाग या समस्त इकाइयाँ नहीं होती हैं अपितु उस समग्र का एक छोटा भाग या केवल कुछ इकाइयाँ ही होती हैं, पर समग्र का कोई भी कुछ इकाई निदर्शन नहीं है जब तक कि ये कुछ इकाइयों समग्र की आधारभूत विशेषताओं का उचित प्रतिनिधित्व न करें। इस अर्थ में समग्र का उचित प्रतिनिधित्व करने वाली कुछ इकाइयों को निदर्शन कहा जाता है।
एक प्रसिद्ध विद्वान प्रो. स्नेडेकोर ने लिखा है, “केवल कुछ पॉड कोयले की जाँच के आधार पर एक गाड़ी कोयला या तो स्वीकृत कर लिया जाता है या अस्वीकृत कर दिया जाता है। केवल एक बूँद रक्त की जाँच करके एक बीमार के रक्त के बारे में डॉक्टर नतीजा निकालता है। न्यादर्श ऐसी युक्तियों हैं, जिनसे केवल कुछ इकाइयों का निरीक्षण करके विशाल इकाइयों के विषय में जाना जाता है।”
निदर्शन की परिभाषाएँ
“सांख्यिकीय निदर्शन उस सम्पूर्ण वर्ग या योग का एक सूक्ष्म चित्र है, जिसमें से कि निदर्शन किया है।”- श्रीमती यंग
“निदर्शन जैसाकि नाम से ही प्रतीत होता है, किसी वृहत, सम्पूर्ण का ही एक छोटा प्रतिनिधित्व है।”- श्री गुडे एवं हाट
निदर्शन के प्रकार
(1) सविचार या उद्देश्यपूर्ण निदर्शन
(2) दैव निदर्शन
3) विस्तृत निदर्शन
(4) मिश्रित अथवा स्तरित निदर्शन
(5) अन्य प्रकार
(अ) कोटा निदर्शन
(ब) बहुचरण निदर्शन
(स) बहुस्तरीय निदर्शन
(द) सुविधानुसार निदर्शन
(य) स्वयं निर्वाचित निदर्शन
(र) क्षेत्रीय निदर्शन
(1) सविचार या उद्देश्यपूर्ण निदर्शन (Deliberate or Purposive Sampling)
निदर्शन की सविचार या उद्देश्यपूर्ण पद्धति के अन्तर्गत अनुसन्धानकर्ता अपने ज्ञान के आधार पर समग्र में से कुछ ऐसी इकाइयों चुनता है, जो समग्र का समुचित प्रतिनिधित्व करती है तथा जिनका चुनाव उसकी इच्छा एवं विचारों के अनुसार हुआ है।
जहोदा एवं कुक के अनुसार “उद्देश्यपूर्ण निदर्शन के पीछे यह आधारभूत मान्यता होती है कि उचित निर्णय तथा उपयुक्त कुशलता के साथ व्यक्ति निदर्शन में सम्मिलित करने हेतु उन मामलों को चुन सकता है तथा इस प्रकार ऐसे निदर्शनों का विकास कर सकता है, जो उसकी आवश्यकताओं के अनुसार सन्तोषजनक है।”
(2) दैव निदर्शन
दैव निदर्शन जैसाकि नाम से ही स्पष्ट है, समग्र में से कुछ इकाइयों का चुनाव ‘दैवयोग’ पर आश्रित रहता है। दैव निदर्शन वह निदर्शन है जिन्हें कि दैव प्रणाली अथवा संयोग प्रणाली से चुना जाता है।
हार्पर के अनुसार – “एक दैव निदर्शन वह निदर्शन है जिसका चयन इस प्रकार हुआ हो कि समग्र की प्रत्येक इकाई को सम्मिलित होने का समान अवसर प्राप्त हुआ हो।”
(3) विस्तृत निदर्शन पद्धति (Extensive Sampling)
इस पद्धति के अन्तर्गत अनुसन्धान हेतु उन सभी इकाइयों का अध्ययन किया जाता है, जो अनुसन्धानकर्ता को सरलता एव सुविधापूर्ण प्राप्त हो जाती है। इसमें अनुसन्धान हेतु उपलब्ध अधिकाधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है।
(4) मिश्रित अथवा स्तरित निदर्शन (Stratified Sampling)
मिश्रित अथवा स्तरित निदर्शन पद्धति सविचार अथवा उद्देश्यपूर्ण निदर्शन एवं दैव निदर्शन पद्धतियों का सम्मिलित रूप है। इस पद्धति के द्वारा सविचार और दैव निदर्शन पद्धतियों के प्रमुख लाभों एवं कार्यों को संयुक्त रूप से प्राप्त किया जाता है।
प्रो. सिन-पाओ येंग – “मिश्रित निदर्शन का तात्पर्य समग्र इकाई में से उन निदर्शनों को लेना जिनमें एकरूपताएँ पायी जाएँ, जैसे कृषि के प्रकार, कृषि के आकार, जमीन पर स्वामित्व शिक्षा का स्तर, आमदनी, लिंग, सामाजिक समूह आदि । उपनिदर्शनों के अधीन आने वाले इन तत्वों को सम्मिलित रूप में एक प्रारूप या श्रेणी के रूप में वर्गीकरण किया जाता है।”
(5) अन्य प्रकार
(अ) कोटा निदर्शन – निदर्शन की इस पद्धति के अन्तर्गत अनुसन्धान क्षेत्र को अनेक भागों या क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है। प्रत्येक भाग, समूह अथवा क्षेत्र के लिए इकाइयों का कोटा निश्चित कर दिया जाता है। तत्पश्चात् विशिष्ट इकाइयाँ चुनने का उत्तरदायित्व अनुसन्धानकर्ता के द्वारा अपने अधीन गुणकों या अन्य व्यक्तियों पर छोड़ दिया जाता है। ये अपनी इच्छानुसार इकाइयों को चुनकर अनुसन्धान कार्य कर लेते हैं।
(ब) बहुचरण निदर्शन – निदर्शन की इस पद्धति के अन्तर्गत अनुसन्धान करते समय एक ही समय में कई महत्वपूर्ण समस्याओं के अध्ययन हेतु सामग्री एकत्र कर दी जाती है।
(स) बहुस्तरीय निदर्शन- इसमें इकाइयों का चुनाव अनेक स्तरों पर किया जाता है। बहुस्तरीय निदर्शन पद्धति में अनुसन्धान की इकाइयों का चुनाव क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है।
(द) सुविधानुसार निदर्शन – इस विधि के अन्तर्गत अनुसन्धानकर्ता किसी भी पद्धति के अनुसार अनुसन्धान करने को तैयार रहता है। वह अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी निदर्शन को चुनता है।
निदर्शन का महत्व (Importance of Sampling in Statistics)
प्रतिदर्शन पद्धति का प्रयोग छोटे एवं बड़े अनुसंधानों में होता है। जब विशेष प्रकार के अनुसंधानों में संगणना रीति का उपयोग नहीं हो सकता है तो प्रतिदर्शन रीति को अपनाया जाता है। समग्र के अनन्त होने पर यह रीति उपयोगी होती है। यह रीति अनुसंधान के अत्यन्त विस्तृत होने पर जिसमें अपार धन व श्रम की आवश्यकता होती है अधिक उपयोगी होती है। प्रतिदर्शन विधि अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय है। इसका उपयोग वैज्ञानिक तकनीकी अनुसंधानों के साथ-साथ दैनिक जीवन की विभिन्न गतिविधियों में भी होता है। अनाज का व्यापारी मुट्ठी भर चावल का नमूना देखकर चावल की किस्म को परख लेता है। गृहणियाँ पकती हुई सब्जी के एक या दो टुकड़ों के आधार पर ही यह जान जाती हैं कि सब्जी पक गयी है या कच्ची है। इसी प्रकार, वर्ष भर की पढ़ाई का परीक्षण तीन घण्टे की परीक्षा से हो जाता है। प्रतिदर्शन विधि मितव्ययी होती है क्योंकि यह आर्थिक बचत करने के साथ-साथ समय व श्रम भी बचाती है। बड़े समग्र की दक्षता में प्रतिदर्शन विधि सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह विधि वैज्ञानिक अभिगम रखती है।
यदि निदर्शन समग्र का प्रतिनिधित्व करता है तो इससे विश्वसनीय आँकडे एकत्रित किये जा सकते हैं। इसमें वैज्ञानिकता का समावेश होता है, प्रशासनिक कठिनाइयाँ भी कम उठानी पड़ती हैं।
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